सिविल लॉयर कैसे बने ? योग्यता, शिक्षा और सैलरी की जानकारी

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Civil Lawyer Kaise Bane in Hindi : क्या आप जानते है सिविल लॉयर कैसे बने ? Civil Lawyer Kaise Bane और इसकी योग्यता, शिक्षा और सैलरी क्या होती है ?अगर आप नहीं जानते है तो आज हम आपको Civil Lawyer Kaise Bane Hindi की जानकारी बताने वाले हैं। सिविल लॉयर कैसे बने इसके लिए आप इस पोस्ट को ध्यान से पूरा पढ़े।

बॉलीवुड के सबसे मशहूर डायलॉग (संवाद) में से दामिनी फिल्म का एक डायलॉग है, जिसमे सनी देओल एक वकील बने हैं और जज को सिर्फ तारीख देने के बारे में कहते हैं “तारीख पे तारीख”। बहुत से लोगों का ध्यान इस डायलॉग की तरफ गया। इस दृश्य को देखने के बाद बहुत से लोगों ने वकील बनने में दिलचस्पी दिखाई । अगर आप उन लोगों में से एक हैं जो वकील बनने के बारे में कल्पना करते हैं, तो आपके लिए बहुत सारी विशेषज्ञताएं हैं। उनमे से एक है सिविल लॉयर। चलिए पढ़ते है की सिविल लॉयर कैसे बने ?

सिविल लॉयर क्या होता है, और सिविल लॉयर कैसे बने ?

सिविल लॉयर स्पेशलिस्ट वकील होते हैं जो सिविल मामलों से जुड़े मुकदमों को लड़ते हैं। सिविल मामले आपराधिक मुक़दमे नही होते इनमे सिर्फ सिविल परेशानियां जैसे दहेज, तलाक, सम्पति से जुड़ा समझौता आदि शामिल होते हैं। एक सिविल लॉयर के तौर पर, आप अदालत के बाहर मामले का समझौता भी करेंगे ताकि आपके मुवक्किल के समय की बचत हो सके। अगर दोनों पक्षों के लिए बाहरी समझौता संभव नहीं हो पाए तब उसी स्थिति में आप मामले को अदालत में लेकर जाएंगे। यह मुक़दमे सिविल होते हैं इसलिए इनमे अधिकतर सज़ा जुर्माना या समझौते के रूप में होती है।

सिविल लॉयर (वकील) नागरिकों के नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाला एक वकील होता है। एक सिविल लॉयर के तौर पर आप अपने मुवक्किल (क्लाइंट) जो कि व्यक्ति, समूह या व्यवसाय हो सकते हैं की ओर से काम करते हैं। आप बहुत से पहलुओं जैसे  अनुबंध, पारिवारिक मामलें, सम्पति या पैसे की वसूली, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव, नस्ल, रोज़गार, सामाजिक स्वतंत्रता, आदि पर मुवक्किल के हितों की रक्षा करेंगे। एक सिविल लॉयर के तौर पर आप अपने मुवक्किल के लिए सिविल लीगल मैटर्स (दीवानी कानूनी मामलों) को देखेंगे। आप अपने मुवक्किल  के सिविल मुकदमों  की वजह से होने वाले खर्चे को भी कम करने की कोशिश करेंगे

Civil Lawyer Kya hota hai ?

सिविल लॉयर आपराधिक मामलों के लिए काम नही करते; आपके मुवक्किल जो गैर-आपराधिक विवादों का  समझौता करना चाहते हैं आप उनका प्रतिनिधित्व  करेंगे। सिविल लॉयर्स अपने मुवक्किल  के मुक़दमे को सिविल कोर्ट्स (दीवानी अदालत)  में दर्ज करवाते हैं और जब भी ज़रुरत हो तब अपने मुवक्किल  के मुक़दमे  को दीवानी अदालत के न्यायाधीशों  के सामने पेश करते हैं।  सिविल लॉयर बहुत सारे मामलों  के लिए काम करते हैं जिनमे कॉन्ट्रैक्ट कानून, पारिवारिक कानून, वाणिज्यिक कानून, मानव अधिकार कानून, रोज़गार कानून आदि शामिल हैं।

सिविल लॉयर के प्रमुख कार्य

  • शिकायतों का समाधान करना और विवादों को हल करना – शिकायतों और परेशानियों को हल करना; अपने काम के संबंध में कार्यस्थल पर या बाहर सह-कर्मियों या अन्य लोगों के बीच टकराव को हल करना।
  • डेटा और सूचना का विश्लेषण और व्याख्या करना – तथ्यों, रूझानों, स्थितियों के पीछे के कारण आदि का पता लगाने के लिए डेटा और सूचना का विश्लेषण; निर्णय लेने में सहायता के लिए डेटा की व्याख्या।
  • मापदंड, कानून, नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुपालन को  आकना और निर्धारित करना। – उचित सूचनाओं, ऑडिटिंग सूचनाओं, प्रक्रियाओं और प्रणालियों का उपयोग करके यह निर्धारित करना कि संगठन या लोग मानकों, कानूनों, नियमों और दिशा-निर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं या नहीं।
  • सह-कर्मियों और अन्य लोगों के साथ बात करना – लिखित रूप में, मौखिक रूप से या फिर आपके कार्यस्थल के अंदर और विभिन्न अन्य लोगों के साथ संवाद करना, जो विक्रेताओं, सरकारी अधिकारियों आदि सहित आपके कार्यस्थल के साथ, या बड़े पैमाने पर लोगों के साथ व्यावसायिक संबंध रखते हैं।
  • निर्णय लेना और समस्या हल करना – डेटा और सूचना का विश्लेषण; वैकल्पिक निर्णय और निर्णय के परिणामों का मूल्यांकन; सही निर्णय लेना और समस्याओं को हल करना।
  • जानकारी प्राप्त करना और सीखना – कंप्यूटर का उपयोग करना, सुनना, पढ़ना, या फिर जानकारी प्राप्त करना और उससे सीखना।
  • स्थितियों, घटनाओं और लोगों का निरीक्षण करना – स्थिति या घटनाओं के होने के कारणों और उन कारणों को समझने के लिए स्थितियों, घटनाओं और लोगों का निरीक्षण करना; लोगों को उनके व्यवहार और कार्यों के पीछे के कारणों को समझने के लिए निरीक्षण करना।
  • तय करना/बातचीत करना – नियमों, शर्तों, लागतों, कीमतों और अन्य मुद्दों के बारे में बात करना।
  • कार्यों को व्यवस्थित करना, योजना बनाना और प्राथमिकता देना – कार्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यों की योजना बनाना और उन्हें व्यवस्थित करना; लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यों को प्राथमिकता देना और उपलब्ध समय का सर्वोत्तम उपयोग करना।
  • दूसरों को सलाह और परामर्श प्रदान करना – विभिन्न मुद्दों, वैचारिक मामलों, ज्ञान-विज्ञान, वैज्ञानिक मामलों, उत्पादों या सेवाओं के बारे में दूसरों को सलाह या परामर्श देना।
  • अद्यतन करना और प्रासंगिक ज्ञान का उपयोग करना – अपने काम के क्षेत्रों के लिए आधुनिक ज्ञान के साथ प्रासंगिक ज्ञान का उपयोग चीजों को प्राप्त करने में किया जाता है।
  • काम के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना – दिन-प्रतिदिन के कार्यालय के काम के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना; दिन-प्रतिदिन के पेशेवर काम में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का उपयोग करना; डेटा और प्रक्रिया की जानकारी दर्ज करना; लिखने हेतु।

सिविल लॉयर कैसे बने ?

किसी भी विषय में क्लास 10 – किसी भी स्ट्रीम में क्लास 11 -12 – बी.ए. एलएल.बी या बी.एससी.एलएल.बी या बी. कॉम. एलएल.बी या बी.बी.ए. एलएल.बी में यूजी।

किसी भी विषय में आपकी सेकेंड्री स्तर की स्कूल की पढ़ाई के बाद, आप किसी भी स्ट्रीम में हायर सेकेंड्री की पढ़ाई करें। इसके बाद आप लॉ प्रवेश परीक्षा जैसे सीएलएटी (कॉमन लॉ एप्टीटुड टेस्ट) में शामिल होंगे और किसी भी लॉ स्कूल से 5 साल का बी.ए. एलएल.बी या बी.एससी.एलएल.बी या बी. कॉम. एलएल.बी या बी.बी.ए. एलएल.बी कोर्स करेंगे । भारत में कानून (लॉ) की प्रैक्टिस करने के लिए आपको ग्रेजुएशन के बाद ख़ुद को स्टेट बार कॉउंसिल में रजिस्टर करवाना होगा और उसके बाद आपको भारत की बार कॉउंसिल के द्वारा संचालित होने वाले आल इंडिया बार एग्जामिनेशन (एआईबीई) को देना होगा ।

किसी भी विषय में क्लास 10 – किसी भी स्ट्रीम में क्लास 11 -12 – किसी भी विषय में यूजी – एलएल.बी।

किसी भी विषय में आपकी सेकेंड्री स्तर की स्कूल की पढ़ाई के बाद, आप किसी भी स्ट्रीम में हायर सेकेंड्री की पढ़ाई करें। इसके बाद आप अंडर- ग्रेजुएशन कोर्स को पूरा करने के लिए किसी भी स्ट्रीम में किसी भी विषय को पढ़ें। आपकी ग्रेजुएशन के बाद, आप एलएल.बी कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद, भारत में कानून की प्रैक्टिस करने के लिए आपको ख़ुद को स्टेट बार कॉउंसिल में रजिस्टर करवाना होगा और उसके बाद आपको भारत की बार कॉउंसिल के द्वारा संचालित होने वाले आल इंडिया बार एग्जामिनेशन (एआईबीई) को देना होगा ।

सिविल लॉयर के लिए शैक्षिक योग्यता – सिविल लॉयर कैसे बने

आप अपनी हायर सेकेंड्री या सीनियर सेकेंड्री स्तर की पढ़ाई के बाद सीधे या अपनी ग्रेजुएशन के बाद कानून (लॉ) में बैचलर डिग्री कर सकते हैं। सभी प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज 5 साल के इंटीग्रेटेड बी.ए /बी.एससी/बी.कॉम/बी.बीए. एलएल.बी डिग्री को करवाते हैं। किसी भी विषय में ग्रेजुएशन के बाद आप 3 साल के एलएल.बी को कर सकते हैं।

आपकी बैचलर डिग्री के बाद आप सिविल लॉ या सम्बंधित क्षेत्र में एल.एल.एम को चुन सकते हैं।

वकालत पढ़ने के बाद रोज़गार के अवसर

कानून की  डिग्री में  ग्रेजुएशन के बाद, आपको नीचे बताए गए स्थानों पर  रोज़गार के अवसर मिल सकते हैं:

  • किसी सीनियर पेशेवर  वकील के साथ उनके  एक जूनियर के तौर पर आपको  मुक़दमे की फाइल (केस फाइल) तैयार करने, रिसर्च करने, प्रेजेंटेशन, कोर्ट में मुक़दमा दर्ज  करने आदि जैसे कामों में उनकी मदद करनी होगी।
  • एक लॉ फर्म या सॉलिसिटर फर्म में (दोनों में कोई अंतर नही है) जूनियर सॉलिसिटर के तौर पर या मिलते जुलते पद पर आपको सीनियर वकीलों  की  मुक़दमे की फाइल तैयार करने, रिसर्च, प्रेजेंटेशन, कोर्ट में मुक़दमा  दर्ज  करने आदि जैसे कामों में  मदद करनी होगी।
  • आप मैनेजमेंट कंसल्टिंग या फाइनेंसियल कंसल्टिंग फर्म जिनमे लीगल (कानूनी) प्रैक्टिसेज़ हों  से जुड़ सकते हैं।  यहाँ पर भी आपको सीनियर वकीलों  की सहायता करनी होगी।
  • बहुत से  कॉर्पोरेट और दूसरे संगठन जिनमे कानूनी  विभाग हो के साथ आप जुड़ सकते हैं। इन विभागों में आपको जूनियर वकील  के तौर पर काम करने का मौका मिलेगा।
  • आप लीगल फंक्शन्स  में रक्षा बलों और सरकारों या विभागों  से जुड़ सकते हैं।

निजी  रूप से या किसी फर्म, कंपनी या संगठन की ओर  प्रैक्टिस करने के लिए, आपको  ख़ुद  को स्टेट बार कॉउंसिल में रजिस्टर करवाना होगा और उसके बाद आपको भारत की बार कॉउंसिल के द्वारा संचालित होने वाले आल इंडिया बार एग्जामिनेशन (एआईबीई)  को देना होगा। किसी सीनियर वकील  या फर्म के साथ 8 -10 साल के अनुभव के बाद ही निजी रूप से  प्रैक्टिस करना उचित है।

सिविल लॉयर के लिए आवश्यक योग्यताएं

रूचियाँ

  • एंटरप्राइज़िंग ऑक्यूपेशंस (रोजगार) – आपको एंटरप्राइज़िंग रोजगारोंमें दिलचस्पी होनी चाहिए। एंटरप्राइज़िंग रोजगारोंमें, किसी भी चीज़ की पहल करना, काम के लिए पहला कदम उठाना और लक्ष्य तक पहुँचने के लिए प्लान बनाना शामिल होता है। इसमें साधनों को इकठ्ठा करके काम पूरा करने के लिए लोगों का मार्गदर्शन किया जाता है। जिसके अंदर सही फैसले लेने, रिस्क (जोखिम) उठाने और काम पूरा करने के लिए सही कदम उठाने की ज़रूरत होती है। 
  • जाँच से जुड़े रोजगार (इनवेस्टिगेटिव ऑक्यूपेशंस) – आपको जाँच से जुड़े रोजगारों(इनवेस्टिगेटिव ऑक्यूपेशंस) में दिलचस्पी होनी चाहिए। जाँच से जुड़े रोजगारोंमें बहुत सारे आईडिया और नया सोचने की ज़रूरत होती है। ज़्यादातर एकदम अलग और वैचारिक सोच की ज़रूरत होती है। इसमें तथ्यों और आँकड़ों के बारे में पढ़ना होता है; डेटा एनालिसिस का इस्तेमाल होता है, किसी परिस्थिति को गहराई से जाँचना , फ़ैसले लेना और समस्या सुलझाने का काम इसमें शामिल होता है।

क्षमता

  • एब्स्ट्रैक्ट रीज़निंग – ऐसे आईडिया (तरीकों) को समझने की काबिलियत, जिन्हें शब्दों या नंबरों में ना जताया जा सके;ऐसी सोच को समझने की काबिलियत जिन्हें बोल कर या किसी और तरीके से समझाया ना जा सके।
  • स्पष्ट उच्चारण – साफ़ बोलने की काबिलियत ताकि दूसरे सभी आपको अच्छे से समझ सकें।
  • डिडक्टिव रीज़निंग – किसी विशेष परेशानी के लिए नियम और लॉजिक (तर्क) लगाकर ऐसे हल खोजने की काबिलियत जोकि सही भी हों और जिनका कोई मतलब भी निकलता हो। उदाहरण के लिए,साधारण तौर पर नियम और लॉजिक लगाकर किसी ख़ास मौके या परिस्थिति के पीछे के कारणों को समझना।
  • इंडक्टिव रीज़निंग – अलग अलग जगहों, तरीक़ों, और थ्योरी से मिलने वाली जानकारी को एक साधारण नियम के तौर पर  रखने की काबिलियत। उदाहरण के लिए- अलग-अलग परिस्थियों को समझकर सही नियम बनाना और निष्कर्ष निकालना।
  • याद रखना – शब्दों, नम्बरों, फोटों और काम करने के तरीकों से जुड़ी जानकारियों को याद रखने की काबिलियत।
  • मानसिक क्षमता – लम्बे समय के लिए मानसिक तौर पर प्रयास करते रहने की काबिलियत।
  • मौखिक समझ – बोल कर बताए गए शब्दों और वाक्यों को सुनने और समझने की काबिलियत।
  • मौखिक तौर पर बताना  – जानकारी और आईडिया बोलकर बताने की काबिलियत ताकि दूसरे भी उसे समझ सकें।
  • पर्सेप्चुअल स्पीड – कुछ अक्षरों,नंबरों, चीज़ों, फोटो या पैटर्न में तुरंत और बिलकुल सही-सही समानताओं और असमानताओं की तुलना करने की काबिलियत। चीज़ें, जिनकी तुलना की जानी है, उन्हें या तो एक ही समय में या एक के बाद एक सामने लाया जा  सकता है। इसमें मौजूद (अभी की) चीज़ को पहले आई हुई चीज़ के साथ तुलना करने की काबिलियत भी शामिल है।
  • परेशानियों को भांपना  – जब कुछ गलत हो या गलत होने वाला हो, तब उसे बताने की काबिलियत। इसके अंदर परेशानी को सुलझाया नहीं जाता है बल्कि सिर्फ पहचाना जाता है कि कोई परेशानी है।
  • ध्यान देने की क्षमता – कहीं और ध्यान भटकाए बिना किसी एक ही काम पर लम्बे समय तक के लिए ध्यान देने की काबिलियत।
  • स्पीड ऑफ़ क्लोज़र – दी गई जानकारी को जल्दी से एक ऐसे पैटर्न में लगाने की काबिलियत  जिससे कोई मतलब निकलता हो।
  • मौखिक तर्क (वर्बल रीज़निंग) – शब्द देखकर सोचना और तर्क लगाने की काबिलियत ; शब्दों से बताए गए आइडिया को समझने की काबिलियत।
  • लिखित समझ – लिख कर दी गई जानकारी और आईडिया (तरीके) को पढ़ने और समझने की काबिलियत।
  • लिखित तौर पर बताना – किसी जानकारी और अलग-अलग आईडिया (तरीके) को लिख कर दूसरों तक पहुँचाने की काबिलियत  ताकि वे इसे पूरी तरह समझ सकें।

ज्ञान

  • इंग्लिश लैंग्वेज  – अंग्रेजी व्याकरण, शब्द, वर्तनी, वाक्य निर्माण के बारे में ज्ञान, दूसरों के साथ संवाद करने के लिए अंग्रेजी का उपयोग करना, अंग्रेजी में पढ़ना इत्यादि।
  • लॉ  – कानूनों, कानूनी संहिताओं, कानूनी प्रक्रियाओं, नियमों, सरकारी आदेशों, इत्यादि का ज्ञान।

कौशल

  • सक्रिय होकर सुनना  – अन्य लोग क्या कह रहे हैं , इस पर पूरा ध्यान देते हुए , दूसरों के द्वारा बनाए जा रहे पॉइंट्स को समझना , सवाल पूछना,   इत्यादि |
  • इंग्लिश में संचार – अंग्रेजी भाषा में दूसरों के साथ-साथ मौखिक रूप से लिखित रूप में प्रभावी ढंग से संवाद करने में कौशल।
  • गहन सोच – जटिल परिस्थितियों के विश्लेषण में कौशल, तर्क का उपयोग करना और स्थितियों को समझने के लिए तर्क करना और उचित कार्य करना या व्याख्याएं और अनुमान लगाना।
  • जुद्ग्मेंट और निर्णय लेना – विभिन्न निर्णय विकल्पों के पेशेवरों और विपक्षों पर विचार करने में कौशल; लागत और लाभों पर विचार करना; उचित और उपयुक्त निर्णय लेना।
  • मोलभाव – दूसरों को एक साथ लाने और मतभेदों को निपटारे की कोशिश में कौशल।
  • समस्या को सुलझाना –  समस्याओं के विश्लेषण और समझ में कौशल, समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन करना और समस्याओं को हल करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प का उपयोग करना।
  • सार्वजनिक बोल – लोगों के एक बड़े समूह या श्रोताओं से प्रभावी ढंग से बात करना या विभिन्न सेटिंग्स जैसे सम्मेलनों, सेमिनारों, बैठकों, आदि में बड़े पैमाने पर जनता को संबोधित करना।
  • समझबूझ कर पढ़ना  – काम से सम्बंधित दस्तावेजों में लिखित वाक्यों और पैराग्राफ्स को समझने का कौशल।
  • लेखन – पाठकों की जरूरतों के लिए उपयुक्त रूप से लिखित रूप में प्रभावी ढंग से संवाद करने में कौशल।

व्यक्तित्व

  • आप हमेशा या ज़्यादातर  अपने दैनिक जीवन और गतिविधियों में व्यवस्थित होते हैं।
  • आप हमेशा  या ज़्यादातर अपने कार्य और व्यवहार के प्रति सावधान रहते हैं।
  • आप हमेशा या  ज़्यादातर अपने कार्य और व्यवहार में अनुशासित रहते हैं।
  • आप हमेशा शांत रहते हैं या ज़्यादातर परिस्थितियों में सामान्यतः शांत रहते हैं।
  • आप हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं या ज़्यादातर स्थितियों में करते हैं।
  • आप कभी-कभी दूसरों की मदद करते हैं।
  • आप दूसरों पर आसानी से भरोसा नहीं करते।
  • आप हमेशा या अधिकांश स्थितियों में व्यावहारिक  होते हैं।
  • आप हमेशा या अधिकतर दूसरों पर या तय नियमों और प्रक्रियाओं पर निर्भर होते हैं।

सिविल लॉयर कितना कमाते है? 

  • सीनियर प्रैक्टिसिंग वकील  के जूनियर के तौर पर, आप शुरुआत में 5,000 -15,000 या उससे ज़्यादा कमा सकते हैं।  5 से 10 साल बाद, आप 15,000 -40,000 रूपये हर महीना कमा सकेंगे। 
  • लॉ फर्म या सॉलिसिटर फर्म में, शुरुआत में आप 8,000 -20,000 रूपये या इससे ज़्यादा कमा सकते हैं।5 से 10 साल के बाद आप 15,000 -60,000 रूपये हर महीना कमा सकेंगे।
  • मैनेजमेंट कंसल्टिंग या फाइनेंसियल कंसल्टिंग फर्म में, आप शुरुआत में 30,000 -50,000 रूपये या   इससे ज़्यादा हर महीना कमा सकते हैं।  5 से 10 साल बाद आप 45,000 -2,00,000 रूपये तक कमा सकेंगे।
  • कॉर्पोरेट और दूसरे संगठनों के कानूनी  विभाग में आप शुरुआत में 25,000 -40,000 रूपये महीना और 5 से 10 साल बाद 40,000 -1,50,000 या इससे ज़्यादा हर महीना कमा सकते हैं।  
  • रक्षा  और सरकारी सेवाओं में आप शुरुआत में 65,000 -70,000 रूपये महीना और 5 से 8 साल बाद 1,20,000 -1,40,000 रूपये महीना और 15 से 18 साल बाद 2,40,000 रूपये  महीने के लगभग कमा सकेंगे।
  • किसी सीनियर वकील या फर्म के साथ 8 से 10 साल या इससे ज़्यादा समय तक काम करने के बाद अगर आप निजी  रूप से प्रैक्टिस करना शुरू करेंगे तो आप 25,000 -1,00,000 रूपये हर महीना या  इससे ज़्यादा कमा सकेंगे।  15 से 20 साल के बाद आप 1,00,000 – 2,00,00,000 रूपये या इससे ज़्यादा हर महीना कमा  सकते हैं।

सिविल लॉयर में करियर

यह आपकी शैक्षिक योग्यता और काम के अनुभव पर निर्भर करेगी।

  • आपको लॉ फर्म या कंसल्टिंग फर्म में  जूनियर वकील  के तौर पर काम करने का अवसर मिलता है तो आप एआईबीई परीक्षा को पास करके और 5 से 8 साल के अनुभव  के बाद संगठन को प्रैक्टिसिंग वकील/ एसोसिएट कंसलटेंट के रूप में आगे बढ़ाएंगे और उसके बाद सीनियर वकील /कंसलटेंट बनेंगे। लॉ फर्म्स में आप पार्टनर के स्तर तक भी पहुंच सकते हैं।
  • कॉर्पोरेट और दूसरे संगठनों में आप जूनियर ऑफिसर  से लीगल ऑफिसर और उसके बाद सीनियर लीगल ऑफिसर बनेंगे। इसके बाद आगे बढ़ते हुए आप जीएम/एसोसिएट वाईस प्रेजिडेंट-लीगल और अंत में वाईस प्रेजिडेंट/प्रेजिडेंट- लीगल और कॉर्पोरेट अफेयर्स बन सकते हैं।

क्या दिव्‍यांग व्‍यक्‍ति  सिविल लॉयर बन सकते हैं ?

  • हल्के तौर पर शारीरिक रूप से असमर्थ
  • कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) से पूरी तरह ठीक हो चूका इंसान
  • सेरेब्रल पाल्सी (न्यूरोलॉजिकल स्थितियां जो इंसान की गतिविधि पर असर डालती हैं)
  • अल्प दृष्टि (कम दिखाई देना)
  • ठीक से सुनाई नहीं देना
  • अंधाप

हमें उम्मीद है की आपको सिविल लॉयर कैसे बने ? योग्यता, शिक्षा और सैलरी की जानकारी मिल गयी होगी। अगर आपको हमारी यह पोस्ट Civil Lawyer kaise bane, Civil Lawyer in Hindi अच्छी लगी हो तो ऐसे सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें।

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